कुवि में हुआ हरियाणवी पंजाबी कवियां दे अंग संग कवि दरबार का आयोजन

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राज की नीति न्यूज, कुरुक्षेत्र :

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में पंजाबी साहित्य सभा, पंजाबी विभाग, और हरियाणा केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा के संयुक्त तत्वावधान में तीन मई को विश्वविद्यालय के फैकल्टी लॉन्ज में हरियाणवी पंजाबी कवियां दे अंग संग कवि दरबार का आयोजन किया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर नरविंदर सिंह कौशल पूर्व, डीन, भाषा एवं कला संकाय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने कहा कि पंजाबी कविता मानवीय भावनाओं को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है। ऐसे कवि दरबारों के माध्यम से नई पीढ़ी में भाषा और संस्कृति के प्रति रुचि पैदा होती है। यह मंच पंजाबी साहित्य की सेवा करने वाले कवियों को नई प्रेरणा प्रदान करता है ।
कार्यक्रम की शुरुआत में पंजाबी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह ने कार्यक्रम में पहुंचने वाले सभी अतिथियों, कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि लेखकों की नई पीढ़ी को आगे लाकर हरियाणा का पंजाबी साहित्य विश्व के पंजाबी साहित्य के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। सुदर्शन गासो, अध्यक्ष, हरियाणा केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा ने स्वागत भाषण देते हुए हरियाणा में साहित्यिक क्षेत्र में पंजाबी की स्थापना की बात करते हुए कहा कि हम सदैव पंजाबी साहित्य और लेखकों की सेवा के लिए तत्पर रहे है। इसके बाद हरियाणा पंजाबी साहित्य की तीन पुस्तकें मिट्टी बोल पई, बाल नाटक संग्रह, मनजीत कौर अम्बालवी, बैठा सोढ़ी पातिसाहु, महाकाव्य, गुरदयाल सिंह निमर और अन्तर युद्ध, काव्य संग्रह, डॉ. बलवान औजला आदि पंजाबी साहित्य क्षेत्र की नई पुस्तको का विमोचन किया गया।

कविताओं के माध्यम से कवियों ने किया कटाक्ष

पुस्तक विमोचन के बाद कवि दरबार के युवा कवि गुरदत्त सिंह ने जुझारवादी क्रांतिकारी स्वर में अपनी कविता पढ़ी। बलजीत सिंह ने भारतीय रुढ़िवादी वर्ग परंपरा और हाशिये पर पड़े लोगों की त्रासदी को धीमे स्वर में कविता के माध्यम से व्यक्त किया। कवि डॉ. बलवान औजला ने पुआधि भाषा में अपनी काव्यात्मक कविता के माध्यम से अपनी पुआधि संस्कृति के लुप्त होते रंग के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। सूबेदार निशान सिंह राठौड़ ने शिक्षा के प्रति सरकार की खराब नीतियों को प्रस्तुत किया तथा कविता के माध्यम से आज के समाज में हो रहे बदलावों पर प्रकाश डाला। कवि तरलोचन मीर ने खुली कविता कतल के माध्यम से मनुष्य के आंतरिक प्रेम और बाहरी विकास को अलग-अलग करके पैदा हुए अंतर को व्यक्त किया। कवयित्री गुरप्रीत कौर अम्बाला ने तरन्नुम में अपना रोमांटिक गीत प्रस्तुत किया। डॉ. तिलक राज ने प्रेम दर्शन को काव्य का विषय बनाया और काव्य के माध्यम से धार्मिक आडंबरों पर निशाना साधा। गुरप्रीत कौर गिल ने रहस्यमयी कविता सुनाते हुए पाखंडवाद पर प्रहार किया। निर्मल कोमल ने फर्क होता है कविता के माध्यम से यथार्थ और झूठ के मध्य पैदा हुए अंतर पर प्रकाश डाला। गुरचरण सिंह जोगी अपनी कविता के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को नए तरीके से प्रस्तुत करते हुए आधुनिक समय में देश पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को अपनी कविता के माध्यम से व्यक्त किया। देविंदर बीबीपुरिया ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से रिश्तों के टूटने को मुख्य विषय के रूप में प्रस्तुत किया। मंजीत कौर अम्बालवी ने युद्धों के भारी बोझ से बाहर आकर बहुत ही शालीनता के अंदाज में शांति की बात की। गुरदयाल सिंह निमर ने अपनी कविता नारीवादी प्रसंग से शुरू करते हुए देश में नफरत के दौर को खत्म करने की बात कही और सभ्यता-संस्कृति को बचाए रखते हुए धार्मिक लहजे में अपनी रचना प्रस्तुत की। हरियाणा के महान कवि कुलवंत रफीक ने मध्यकालीन कवियों के हवाले से पंजाबी मातृभाषा की बिगड़ती स्थिति पर बात करते हुए देश-विदेश में पंजाबी मातृभाषा का मान-सम्मान बढ़ाने की बात अपनी कविता के माध्यम से कही।
डॉ. रतन सिंह ढिल्लों ने भ्रांतिवाद, पाखंडवाद और युवाओं के विदेश के प्रति रुझान को चिंताजनक रूप में प्रस्तुत करते हुए काव्य का विषय बनाया। डीन, कला एवं भाषा संकाय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, प्रो. पुष्पा रानी से नारीवादी दृष्टिकोण से सच्चे प्रेम की आड़ में रचे गए झूठे प्रपंचो को उजागर किया। हरियाणा की पंजाबी कविता के स्तंभ डॉ. राबिन्द्र मसरूर ने सुहज भरपूर कविता सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हरियाणा एवं हरियाणा पंजाबी साहित्य के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि फिल्म चार साहिबजादा के लगभग गीत पंजाबी कवि मसरूर की देन है।
डॉ. राजिंदर सिंह भट्टी ने स्वयं को प्रकृति के सम्मुख रखकर कविता पाठ किया और आधुनिक समय में समाज में बने भय के माहौल को अपनी कविता में प्रस्तुत किया।  कवि रमेश कुमार ने मानव मन व्यथा पर एक कविता पढ़ी, उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से मानव मन की गहन गंभीर भावनाओं को विषय बनाया।
प्रो. डॉ. हरसिमरन सिंह रंधावा, सरप्रस्त हरियाणा केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा ने कवि दरबार में आए नए कवियों/लेखकों के अथक प्रयासों का सम्मान करते हुए उन्हें भविष्य में मंच प्रदान करके सम्मानित करने की बात की। इस अवसर पर प्रो. भगवान सिंह चौधरी, प्रो. महावीर सिंह जागलान, प्रोफेसर परमेश कुमार, डॉ गुरचरण सिंह, डॉ प्रवेश कुमार, कैप्टन परमजीत सिंह, डॉ जसबीर सिंह विभिन्न विभागों के प्रोफेसर, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

कवि दरबार में कवियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित करते आयोजक।

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